चाहे राधा हो या हो मीरा, सबके हिस्से में आई ये तन्हाई। और मैं तुम्हें अपने सपनों में पुकारता हूँ। “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे बस मेरी ही तन्हाई उसे दिखाई नहीं देती। कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे क्यूँ हिज्र के शिकवे करता https://youtu.be/Lug0ffByUck